पानी से होगा इंधन का विकल्प तैयार, पेट्रोल पंपों की तरह होंगे हाइड्रोजन ईंधन स्टेशन : शोधकर्ता अमित कुमार

पानी से होगा इंधन का विकल्प तैयार, पेट्रोल पंपों की तरह होंगे हाइड्रोजन ईंधन स्टेशन : शोधकर्ता अमित कुमार

मंडी
अब पानी से न केवल हाइड्रोजन एनर्जी निकालकर भविष्य में इंधन का विकल्प तैयार होगा, बल्कि पानी में मौजूद हानिकारक प्रदूषण के घटक  भी खत्म होंगे। उद्योगों और खेतों में रासायनिक खादों और छिड़काव से पानी में मिलने वाले हानिकारक अपशिष्ट मिटाकर पानी फिर इस्तेमाल हो सकेगा। हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले के बैहना निवासी शोधकर्ता अमित कुमार ने यह कमाल कर दिखाया है। उन्होंने एक ऐसा फोटो कैटेलिस्ट (मैटीरियल) तैयार किया है, जिससे पानी में मौजूद प्रदूषित तत्व खत्म करके उसे हाइड्रोजन में बदलने और उसमें हाइड्रोजन निकालने की प्रक्रिया को अंजाम दिया जा सकेगा। अमित कुमार का शोधपत्र एप्लाइड कैटालिसिस बी (इंपेक्ट फैक्टर 17 और सेइट स्कोर 25) में प्रकाशित हो चुका है। यह शोधपत्र जल के उन्नत फोटो कैटलिटिक उपचार, ईंधन में कार्बन डायऑक्साइड के रूपांतरण और स्वच्छ ऊर्जा उत्पादन पर केंद्रित है। वर्तमान में अमित एक विदेशी विश्वविद्यालय में मैटीरियल साइंस एंड इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट में वरिष्ठ शोधकर्ता के पद पर तैनात हैं।

विश्व के शीर्ष दो फीसदी वैज्ञानिकों की सूची में शामिल अमित
हाल ही में 2020 में जारी स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग में अमित कुमार को विश्व के शीर्ष दो फीसदी वैज्ञानिकों की सूची में शामिल किया है। यह रैंकिंग उनके शोधों पर आधारित है। अनुसंधान करने के लिए उन्हें डरबन (दक्षिण अफ्रीका) के क्वाजुलुनाल विश्वविद्यालय के प्रोफेसर के रूप में आमंत्रित किया जा चुका है। उनके करीब 110 शोध प्रकाशित हो चुके हैं। 

पेट्रोल की जगह होंगे हाइड्रोजन ईंधन भरने वाले स्टेशन
शोधकर्ता के अनुसार यदि पानी के विभाजन की इस तकनीक को विकसित करें, तो प्रदूषित पानी से फैलने वाले जलजनित रोगों से बचा जा सकेगा। उद्योगों से निकला गंदा पानी दोबारा इस्तेमाल में लाया जा सकेगा, जिससे पानी की कमी दूर होगी। इससे निकलने वाली ऊर्जा भविष्य में काम आएगी।

पेट्रोल पंपों की तरह हाइड्रोजन ईंधन भरने वाले स्टेशन हो सकते हैं। इस पानी के विभाजन की प्रतिक्रिया से उत्पन्न हाइड्रोजन गैस के साथ आप अपनी कार में हाइड्रोजन ईंधन सेल भर सकते हैं। लिथियम बैटरी चालित इलेक्ट्रिक कारों को चार्ज करने में लगने वाले घंटों की तुलना में हाइड्रोजन ईंधन भरने का काम मिनटों में होगा।

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